खुला आसमां है कब तक उड़ लूंगा मैं, एक रोज थक कर जमीन पर गिरूंगा मैं,, तू जो चाहे तो साथ दे दे मेरा, तेरे साथ हवा का रुख मोड़ दूंगा मैं,, पीठ पीछे साजिश ना कर मुझे गिराने की, तेरी मोहब्बत में अंधा हूं खुद जा गिरूंगा मैं,, ये जमाना हैरत में है खुश दिखता हूं मैं, आ शायरी पढ़ले मेरी दर्द लिखता हूं मैं,, "पंडित नरेन्द्र द्विवेदी" #mohabbat#love#shayari#sadshayari#pyar#dhoka#wafa jAhid 😍 8905605344 kavi Ajay maurya(#आश्वस्त🇮🇳)