सुनो! तुम कस कर हाथ थाम के रखना मेरा, कभी कभी मैं, लड़खड़ाता बहुत हूं ।। यदि रूठ भी जाऊं कभी तो मना लिया करना मुझे , अकेलेपन मे रोता भी, अब खूब हूं।। तुम तो जानती हो न, ये आदत मेरी, चाहे भीतर छुपाया हो समंदर अपने, फिर भी मैं मुस्कुराता बहुत हूं।। तुम खुद ही पूछ लिया करना,हाल चाल मेरा, तुमसे दु:ख तक़लीफें, मैं छुपाता बहुत हूं।। और कभी चाहे हो जाऊं खफा, तुमसे कितना भी लेकिन यार! दिल से तुम्हें चाहता बहुत हूं।। - ©M.k.... और कभी चाहे हो जाऊं #खफा, तुमसे कितना भी लेकिन यार! #दिल से तुम्हें चाहता बहुत हूं।। #poetry #love #yqhindi #yqdidi #eudaimonia17_11 #yqquotes