प्रकृति की पुकार हे मानव सुनो मेरी पुकार, ना डालो मुझपर इतना भार। पशु पक्षियों का तुम रखो ध्यान, ना करो उन पर इतना दुराचार। पेड़ पौधों से तुम मुझे सजाओ, फूलों की बगिया मुझपे बनाओ, स्वच्छ जलधारा सा पावन, इस धरा को तुम मेहकाओ। जलजीवों की करो तुम रक्षा, प्रकृति की तुम करो सुरक्षा, प्रकृति संरक्षा का बढ़ाओ ज्ञान, अब और ना लो मेरी परीक्षा। है मेरी तुमसे इतनी दरख्वास्त, ना तोड़ना तुम मेरा विश्वास, है वक्त अब भी ना बनो अंजान, प्रकृति बचाने का तुम करो प्रयास। ©Aakansha shukla #environment #Earth कविताएं कविता कोश हिंदी कविता