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रंज तुम्ही से, इश्क़ तुम्ही से, कातिल तुम ही, मसीहा

रंज तुम्ही से,
इश्क़ तुम्ही से,
कातिल तुम ही,
मसीहा तुम ही,
चुप्पी में तुम,
खमोशी तुम से।

शोर तुम्हें ही,
शांति तुम्हे ही,
सपनों का बसा बसा जहां तुम्ही से,
वीराना उजाड़ आसमान तुम्ही से,
रंज तुम्ही से,
इश्क़ तुम्ही से।

शिकायत तुम्ही से,
चाहत तुम्ही से,
वफ़ा तुम्ही से,
जफ़ा तुम्ही से,
चलना भी तुमसे,
ठहरना भी तुमसे,
रंज तुम्ही से,
इश्क़ तुम्ही से।

जमीं भी तुम हो,
अंतहीन आसमान तुम्ही हो,
रात जा अंधेरा तुम हो,
दिन के उजियारो की चमक भी तुम हो,
तुम हो तो यह सांस है,
और इस सांसों में मिल जाने की प्यास है।

©Prashant Roy
  रंज तुम्ही से,
इश्क़ तुम्ही से। Rakesh Srivastava Suruchi Roy SHAHID HAROON RUHI. PAYAL SINGH Abdullah Qureshi
prashantroy0606

Prashant Roy

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रंज तुम्ही से, इश्क़ तुम्ही से। @Rakesh Srivastava @Suruchi Roy @SHAHID HAROON @RUHI. PAYAL SINGH @Abdullah Qureshi #कविता

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