ख्वाब पुराने आंखों में फिर से बसने लगे,हम उन्हें भूलने की सोच रहे वो और जहन में बसने लगे,बचपन की गलियां आज नजर आ रही है,सुनो न तुम्हारी याद आ रही हैं। बरसो गुजर गए संग लेकिन प्यार वाला अहसास तो नही था,तुम्हे चुड़ैल वगैरह कहके सिर्फ तुमको तंग करना था,तुम नाराज़ होके भी कुछ नही करती,पर अब दूर हुआ तो दिल को कमी तुम्हारी खलने लगी है, सुनो न तुम्हारी याद आ रही है। तुम मेरे सबसे करीब थी,शायद जो बोलते थे दोस्त हमारे वो बात सच्ची थी,दोस्ती तो दिखावा थी शायद प्यार ने जगह दिलो में लेली थी,अब तुमसे बिछड़ के दुनिया बेगानी सी लग रही है,सुनो न तुम्हारी याद आ रही है। बात ये थी कभी अहसास न हुआ,तुमसे ऐसे कभी दूर भी तो न हुआ था,अब तो तेरी बाली भी मेरे सपनों में आने लगी है,सुनो ये दूरियां अब मुझे तड़पाने लगी है,मेरे हर लम्हो में तूम घुलती जा रही हो ,अब ये फासले जैसे मिटने को राजी नही सुनो न तुम्हारी याद आ रही।