सिसकते होंठों पर मेरे रुके - रुके से अल्फाज़ हैं, उसे सुनाई ही नहीं देता इतनी धीमी आवाज है, रूबरु होता हूँ ,हर रोज उस कांटे के दर्द से, जो करीब होकर भी गुलाब को छूने का मोहताज है .... #Rubru , #Gulab, #Mohtaj, #Shayari, #Sharif