यूं मन मिलन के गीतों में ' यूं रिमझिम बरसती बरखा में ' यूं पंखों के चिरछाओं में ' कोई कैद है मेरे आंगन में ' यूं मधुर कोयल सी मुस्कानों में ' यूं मेरे नब्ज के ठिकानों में ' यूं बरबस पथराई आँखों में ' यूं पवन वेग इन हवाओं में ' कोई कैद है मेरे आंगन में ... यूं प्रेम के उन परिभाषाओं में ' यूं गीत के उन लताओं में' यूं शरद के उन शितों में ' यूं मधुर मिलन के गीतों में ' कोई कैद है मेरे आंगन में ' कोई कैद है मेरे आंगन में ' यूं मन के उन उत्साहों में ' यूं जीवन के नव राहों में ' यूं सागर के क्षितिज लहरों में ' यूं कलियों के उन घटाओं में ' कोई कैद है मेरे आंगन में ' कोई कैद है मेरे आंगन में .. यूं कवियों के नवगीतों में ' यूं सुखद पड़े संगीतों में ... यूं सूरज के उन किरणों में ' यूं चाँद की सुखी लाली में ' यूं निर्झर जल के झड़नों में ' यूं कीचड़ के उन कमलों में ' कोई कैद है मेरी आँखों में ... काव्य -गौरव कोई कैद है मेरे आंगन में