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सुबह की रौनक़ दिल की जमीं पे, खिलाये पुष्प ख़ूबसूरत

 सुबह की रौनक़ दिल की जमीं पे,
खिलाये पुष्प ख़ूबसूरत हज़ार..!

सुगन्धित लहर ईश्वर की मेहर,
गाँव हो या शहर होते नौ-बहार..!

मुरझाया जीवन काट ग़मों का वन,
खिलते उपवन सा दिखे हर बार..!

स्वच्छ सोच सा निर्मित करता,
सूर्य प्रकाश यूँ नए विचार..!

नकारात्मकता को करके नष्ट,
सकारात्मकता का करता प्रसार..!

उगता जीवन दर्शाती सुबह हर,
भूल कर बीता दिन लाचार..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #TereHaathMein #ugtajivan