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दुरियाँ नज़रों से नापता रहा मंजिल की दुरियाँ ! ता

दुरियाँ
नज़रों से नापता रहा मंजिल की दुरियाँ ! 
ताउम्र ना मिट्टी देखी....दिल की दुरियाँ !! 

तड़पते रहे हम...हो होकर घायल उनसे ! 
बेवफा ना कह दे हमें कातिल की दुरियाँ !! 

मिली ही नहीं कभी....ए था मेरा नसीब ! 
जिंदा रखा मुझे मगर साहिल की दुरियाँ !! 

कसमों को हमने समझा...यही था कसूर ! 
जो लांघी ना गई हमसे..,.तील की दुरियाँ !! 

अफ़सोस है सचित्....पढ़े लिखे को कैसे ! 
जाहिल बना देती है....जाहिल की दुरियाँ !!

©S K Sachin उर्फ sachit #Travelstories #नोजोटोहिन्दी #दुरियाँ #गज़ल
दुरियाँ
नज़रों से नापता रहा मंजिल की दुरियाँ ! 
ताउम्र ना मिट्टी देखी....दिल की दुरियाँ !! 

तड़पते रहे हम...हो होकर घायल उनसे ! 
बेवफा ना कह दे हमें कातिल की दुरियाँ !! 

मिली ही नहीं कभी....ए था मेरा नसीब ! 
जिंदा रखा मुझे मगर साहिल की दुरियाँ !! 

कसमों को हमने समझा...यही था कसूर ! 
जो लांघी ना गई हमसे..,.तील की दुरियाँ !! 

अफ़सोस है सचित्....पढ़े लिखे को कैसे ! 
जाहिल बना देती है....जाहिल की दुरियाँ !!

©S K Sachin उर्फ sachit #Travelstories #नोजोटोहिन्दी #दुरियाँ #गज़ल