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तुम्हारे शहर से गुजरे शहरियत देख ली मैंने, हृदय का

तुम्हारे शहर से गुजरे शहरियत देख ली मैंने,
हृदय का छल दिखा मुँह की मोहब्बत देख ली मैंने,
कहाँ तक डालोगे पर्दा कहाँ क्या क्या छुपाओगे
हकीकत में तुम्हारी जब हकीकत देख ली मैंने। #अपरचित
तुम्हारे शहर से गुजरे शहरियत देख ली मैंने,
हृदय का छल दिखा मुँह की मोहब्बत देख ली मैंने,
कहाँ तक डालोगे पर्दा कहाँ क्या क्या छुपाओगे
हकीकत में तुम्हारी जब हकीकत देख ली मैंने। #अपरचित