कमल नयन, चंचल चितवन भवे काम के बाण समान बोले जब जैसे कोयलिया कूके हिरणी जैसी चाल नाचे मन मयूरा जैसा रेशम जैसे बाल मोहनी मूरत, सावली सूरत गर्दन सुराहीदार जो देखे वो होश गवा दे छलकाए मादक भाव इंद्रलोक से आई हो अप्सरा जैसे विश्वामित्र का तोड़ने ध्यान ©Savita Nimesh श्रृंगार रस.. #PrideMonth