चांद तुझे रंग लगा दूँ चांद क्यों तू सफेद है तेरे रंग में मगर सारे रंगों का भेद है! सफेद रंग तेरा कालिख लिए है, आ उसे मिटा दूँ... चाँद तुझे रंग लगा दूँ रंग मगर फीका है! क्या तुझ पर चढ़ पायेगा? तू तो किसी और का है क्या मेरा हो पायेगा!! रंग मेरे तुझ पर लूटा दूँ खुद को तुझमे समा दूँ चांद तुझे रंग लगा दूँ..! ✍️✍️मुर्तज़ा *#चांद तुझे रंग लगा दू#*