Ink and Pain एक पीड़ा जिसे कुदरत ने हर स्त्री की झोली में डाल दिया हर ओरत ने इसे बखूबी से अपने मे ढाल लिया। बीमारी नही ये कोई नही कोई इसकी दवा । ये तो पहचान बन कर रहता है स्त्री की जिन्दगी में ये वही दर्द है जो हर बार अपनी तीक्ष्णता से रुला जाता है। हा ये कुदरत की वो धरोहर है जो सही मायने में ओरत को औरत कहलवाता है। दर्द है चाहे ये लेकिन कुछ खास होता है। आगे चलकर यही दर्द माँ होने का एहसास देता है। कविता जयेश पनोत #स्त्री की पीड़ा#मासिक दर्द