आजादी.... क्या कहतो हो चरखा चला जब सुदर्शन बनकर, तब अहिंसा से आजादी आयी, हाथ जोड़ता हूँ मैं साहब बदल दो इस कहानी को झूठ अब ना तुम हमसे बोलों वक्त ने दौर की भी सूरत दिखलायी है लाखों लटके फांसी पर करोडों ने सहादत को गले लगाया है, चीखे गूंजती है लाहौर ,यरवदा (पुणे) की जेलों में अमान्यवीय यातनाओं ने हृदय को जलाया है, उग्र हुआ इंकलाब फिर,खूनों के बदले खूनों की मांग हुई , भगत,आजाद,लाला,बोस ने क्रांति की अलख जगाई तब जाकर साहब वतन यह आजाद हुआ.... #और अब तुम हमसे झूठ ना बोलो.....