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ख़तरे में आस्तित्व हमारा, विपदा आई भारी है। जनता ह

ख़तरे में आस्तित्व हमारा, विपदा आई भारी है।
जनता हारी, नेता हारे, हारी दुनिया सारी है।

जीव भक्षण जो करते प्राणी, क्या उनको दया न आती है।
उनकी जान जान नहीं, और अपनी जान प्यारी है।

प्रकृति के अभिशाप से आखि़र, कब तक बचो बचाओगे।
पाप कर्म किए हैं जो सारे, यहीं  भोगकर जाओगे।

प्रकृति मांँ के उथल पुथल से, सहमी दुनिया सारी है।
अभी तो यह शुरुआत है "मन", प्रलय आने की बारी है।

जलचर, थलचर और गगनचर, सभी प्रकृति को प्यारे हैं।
जैसे तुम्हें परिवार है प्यारा, वैसे उसको सारे हैं। #korona #khatra#मानव
ख़तरे में आस्तित्व हमारा, विपदा आई भारी है।
जनता हारी, नेता हारे, हारी दुनिया सारी है।

जीव भक्षण जो करते प्राणी, क्या उनको दया न आती है।
उनकी जान जान नहीं, और अपनी जान प्यारी है।

प्रकृति के अभिशाप से आखि़र, कब तक बचो बचाओगे।
पाप कर्म किए हैं जो सारे, यहीं  भोगकर जाओगे।

प्रकृति मांँ के उथल पुथल से, सहमी दुनिया सारी है।
अभी तो यह शुरुआत है "मन", प्रलय आने की बारी है।

जलचर, थलचर और गगनचर, सभी प्रकृति को प्यारे हैं।
जैसे तुम्हें परिवार है प्यारा, वैसे उसको सारे हैं। #korona #khatra#मानव