पकड़ना चाहूं चांद को हथेली से, छूना चाहूं नभ को उंगलियों से। तोड़ना चाहूं तारों को, पंजो की चोट से। विलीन हो जाना चाहूं अतंरिक्ष की असीम गोद में। मंदाकिनियों की अनंत ओट में। मुक्ताकाश में विचरण करू, जैसे करते ऋषि नारद ब्रह्मलोक में। मन,क्रम,वचन से हो विलग, हो जाऊं वैरागी मै योग में। जैसे अर्जुन हुए उद्यत, श्रीकृष्ण के उद्घोष से। #विमुक्त #TakeMeToTheMoon