गोकुल की गलियन में, कृष्ण कन्हाई घूम रहो गघरियन को गोपियन की, चुन-चुन के फोड़ रहो मन-मन हर्षाय रहो, तनिक-तनिक मुस्काय रहो सांवरियां गोपियन को, छुप-छुप के सताय रहो हृदय प्रसन्न होई गयो, अंग अंग खिल जाय रहो रूप तेरो देख कन्हाई, चंदा बादल में छिप जाय रहो मैय्या माखन रई छिपाए, टुक टुक के निहार रहो मैय्या के जाते ही कमरे से, मक्खन चट कर जाय रहो राधा को भी प्रेम किया और, मीरा को आशीष दियो तूने मेरे कृष्ण कन्हाई प्रेम, सीमाओं के पार कियो #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #कविता #नोजोटो #nojoto