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ज्यादा से ज्यादा, तुम मुझे भूल जाओगे या शायद मुझसे

ज्यादा से ज्यादा, तुम मुझे भूल जाओगे
या शायद मुझसे नफरत भी करने लगो
हो सकता है तुम मुझे पागल समझो
या मुमकिन है मेरे वजूद का कोई इल्म भी न रहे

मगर 
तुम खुद को चाहने से मुझे कभी न रोक पाओगे
तुम हर रोज मेरे ख्वाबों में आओगे
मेरी अधूरी मोहब्बत के पन्नो को लिखने
वहां तुम मुझे मुझसे भी ज्यादा चाहोगे
वो कहते हो न तुम ,
मोहब्बत थोपी नहीं जा सकती
लेकिन वहां तुम इश्क का परचम लहराओगे।

इकतरफा इश्क भी तो आखिर इश्क ही होता है
क्या अधूरी मोहब्बत के उसूलों से अबतक नावाकिफ हो तुम ?

©ADiL KHaN (शहज़ादा)
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