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जब पहली बार तुम्हारी आंखे देखीं तो लगा उनमें स्वप्

जब पहली बार तुम्हारी आंखे देखीं तो लगा उनमें स्वप्न सी गहराई है, मैंने उन्हें झील लिखा..
फिर उसके बाद देखा तो लगा ये झील से गहरी प्रतीक्षारत हैं तो मैंने सागर लिखा..
पर अब जो देखता हूं तो जान पड़ता है तुम्हारी आंखों का कोई छोर नहीं, वे अनंत ब्रह्माण्ड की तरह अनसुलझी हैं...!!!

©परख
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