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*मैंने मासूमों को बिकते देखा*
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जिन मासूमों की हँसी से, घर का आँगन गुलज़ार होते देखा।
रो पड़ा ये हृदय, जब मजदूरी, भिक्षावृत्ति और जिस्मफ़रोशी में,
उनकी गरिमा को तार-तार होते देखा।।
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