अंश की कलम से... डूबते सूरज व उगते चंद्रमा की तरह, निर्मल तुम्हारा प्रेम...... जिसे पाने की ललक में, नदियां खोती अपना वजूद, और तुम समा लेते उन्हें, खुद में सदा के लिए..... प्रतिभा श्रीवास्तव अंश अंश की कलम से.....