Jai shree ram अंततः... वो मर ही गया मुक्ति मिल गई उसे रोज शाम रोज के मरने से साल दर साल मरता था वो किंतु.. चलते फिरते/ ठहाके लगाते दोस्तों संग मौज मस्ती करते पल पल क्षीण होता जीवन जनता जनार्दन के मन मस्तिष्क में दशग्रीव के रूप विराजमान किन्तु.. ख़ुद में राम को बसाये सुमिरन पल पल करता अवध की ! ©Shipra Pandey ''Jagriti' #JaiShreeRam