हर साख पे पंछी रोता है उजड़े रैन बसेरों में कोई चादर ताने सोता है सोने चांदी के ढेरों में लड़ता है हर पल हर क्षण आंधी और थपेड़ों से जाना जाता है क्रांतिवीर सा दीपक घने अंधेरों में अंधयुग का मालिक चाहे जितने पहरे बिठला दे आग सुलग ही जाती इक दिन जल थल नभ के ढेरों में .... ✍️ ©Sarvesh Rockstar #सर्वेश_की_शायरी #mainaurtum