आँख से आँख मिला बात बनाता क्यूँ है तू अगर मुझसे ख़फ़ा है तो छुपाता क्यूँ है। गैर लगता है न अपनों की तरह मिलता है तू ज़माने की तरह मुझको सताता क्यूँ है। वक़्त के साथ ख़यालात बदल जाते हैं ये हक़ीक़त है मगर मुझको सुनाता क्यूँ है। एक मुद्दत से जहां काफ़िले गुज़रे ही नहीं ऐसी राहों पे चरागों को जलाता क्यूँ है।। ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #तू_जमाने_की_तरह_मुझको_सताता_क्यों_है... love poetry in hindi hindi poetry on life love poetry for her