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White ताटंक छंद राजनीति में जनता कपिला, कैसा खेल

White ताटंक छंद 

राजनीति में जनता कपिला, कैसा खेल निराला है।
कभी न लात उठाती कपिला, नेता भरता हाला है।।
अपनी इस चालाकी पर वह, मन ही मन इठलाता है।
पकड़े जाने के डर से वह, खाता और खिलाता है।।
नेता अफसर में बस केवल, इतना सा ही नाता है।
खुद खाओ और हमें खिलाओ, भारत भाग्य विधाता है।।

©Shiv Narayan Saxena #sad_quotes छंद रचना  poetry in hindi
White ताटंक छंद 

राजनीति में जनता कपिला, कैसा खेल निराला है।
कभी न लात उठाती कपिला, नेता भरता हाला है।।
अपनी इस चालाकी पर वह, मन ही मन इठलाता है।
पकड़े जाने के डर से वह, खाता और खिलाता है।।
नेता अफसर में बस केवल, इतना सा ही नाता है।
खुद खाओ और हमें खिलाओ, भारत भाग्य विधाता है।।

©Shiv Narayan Saxena #sad_quotes छंद रचना  poetry in hindi