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आँखों में जलता हुआ चराग लिए फिरता था बंजारा था,संग

आँखों में जलता हुआ चराग लिए फिरता था
बंजारा था,संग अपने विराग लिए फिरता था
कोई झलक दिखी तो थी उसे मंज़िल की पर
वो धुंधले धुंए में और आग लिए फिरता था!

देखकर सब अनदेखा किया करता था
कुछ टूटे ख़्वाब बेवजह सिया करता था
नाकाम कोशिशें थीं नदियों की उसमे मिलने को
वो शांत समंदर में बंद तूफ़ान लिए फिरता था!

हर सफ़र को ही हमसफ़र करता था
ना कभी दिशाओं के रूठने से डरता था
मुकद्दर से लड़ने की आदत हो चली थी
वो हथेली में अपना भाग लिए फिरता था!
जलता हुआ चराग लिए फिरता था!
दामन में शायद पुराना दाग लिए फिरता था!
स्याह में भी रौशनी का सुराग लिए फिरता था!
वो बंजारा था, संग अपने विराग लिए फिरता था!! #yqdidi #gazal #gazaljoy #poetrycommunity
आँखों में जलता हुआ चराग लिए फिरता था
बंजारा था,संग अपने विराग लिए फिरता था
कोई झलक दिखी तो थी उसे मंज़िल की पर
वो धुंधले धुंए में और आग लिए फिरता था!

देखकर सब अनदेखा किया करता था
कुछ टूटे ख़्वाब बेवजह सिया करता था
नाकाम कोशिशें थीं नदियों की उसमे मिलने को
वो शांत समंदर में बंद तूफ़ान लिए फिरता था!

हर सफ़र को ही हमसफ़र करता था
ना कभी दिशाओं के रूठने से डरता था
मुकद्दर से लड़ने की आदत हो चली थी
वो हथेली में अपना भाग लिए फिरता था!
जलता हुआ चराग लिए फिरता था!
दामन में शायद पुराना दाग लिए फिरता था!
स्याह में भी रौशनी का सुराग लिए फिरता था!
वो बंजारा था, संग अपने विराग लिए फिरता था!! #yqdidi #gazal #gazaljoy #poetrycommunity
khwabeeda1737

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