जिस रोज़ बादशाहो से फ़कीर आशिक़ रूठेगा पत्थर हाथों में होंगे और ये ताजमहल भी टूटेगा जब कोई अपने इश्क में ही खुद को मरता पाएगा चीख चीख कर रोएगा और रो रो कर पछताएगा जब जब ये दीवाना पन अपनी हद से गुजरेगा तब तब कोई दीवाना पागल इश्क़ में धोखा खाएगा आंखो से निकलेगा लहू बन के अंगारा फूटेगा पत्थर हाथों में होंगे और ये ताजमहल भी टूटेगा जब मोहब्बत अपना कोई पैगाम छोड़ के जाएगी कोई बेवफ़ा किसी वफ़ा का कफ़न ओढ के जाएगी कोई मुसाफ़िर जब राहें तुमसे बेहतर पा लेगा तो गाड़ी इश्क मोहब्बत कि दिल तोड़ फोड़ के जाएगी ना चाहते हुए इश्क में जब साथ इश्क़ का छूटेगा पत्थर हाथों में होंगे और ये ताजमहल भी टूटेगा : राजन सिंह ☺️☺️ ©ठाकुर राजन सिंह ताजमहल भी टूटेगा : राजन सिंह