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शहर में बढ़ती हुई भीड़ से, पल-पल बढ़ती हुई घुटन न रह

शहर में बढ़ती हुई भीड़ से,
पल-पल बढ़ती हुई घुटन

न रहने को है घर कहीं फिर भी,
छतों पर बन रहा है मटन

न कमाने को है पैसा साँसों की तरह,
करते रहते हो फिर भी न जाने कितने जतन

यहाँ पर बस शहर में बढ़ती हुई भीड़ से,
पल-पल हो रही है मेरे गाँव में घुटन...

◆परमात्मने नमः◆

©Death_Lover
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