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मै सबकुछ भुलाकर कर मिटा दूं दूरियां दिलों की म

मै  सबकुछ  भुलाकर कर मिटा दूं दूरियां  दिलों  की
मगर  अपनों  का  चुभा   कांटा  निकलता  कहा  है
छोड़  दू  उनके  लगाए मुझ  पर हर एक अरोपो को
ठहर जाए उनके यहां "मगर" काफिर रुकता कहा है

कभी उन्होंने ने मुझको  कलियों का भवरा कहा था
कहा था किसी बगीचे के फूल पर तू टिकता कहा है
रुक जाएंगे  कहीं भी  जहा  दिलों  की राजधानी हो
अपमानित  स्वरो में देह जीवन  मन  रुकता कहा है

© गंगवार रामवीर मै  सबकुछ  भुलाकर कर मिटा दूं दूरियां  दिल  की
मगर  अपनों  का  चुभा   कांटा  निकलता  कहा  है
छोड़  दू  उनके  लगाए मुझ  पर हर एक अरोपो को
ठहर जाए उनके यहां "मगर" काफिर रुकता कहा है

कभी उन्होंने ने मुझको  कलियों का भवरा कहा था
कहा था किसी बगीचे के फूल पर तू टिकता कहा है
रुक जाएंगे  कहीं भी  जहा  दिलों  की राजधानी हो
मै  सबकुछ  भुलाकर कर मिटा दूं दूरियां  दिलों  की
मगर  अपनों  का  चुभा   कांटा  निकलता  कहा  है
छोड़  दू  उनके  लगाए मुझ  पर हर एक अरोपो को
ठहर जाए उनके यहां "मगर" काफिर रुकता कहा है

कभी उन्होंने ने मुझको  कलियों का भवरा कहा था
कहा था किसी बगीचे के फूल पर तू टिकता कहा है
रुक जाएंगे  कहीं भी  जहा  दिलों  की राजधानी हो
अपमानित  स्वरो में देह जीवन  मन  रुकता कहा है

© गंगवार रामवीर मै  सबकुछ  भुलाकर कर मिटा दूं दूरियां  दिल  की
मगर  अपनों  का  चुभा   कांटा  निकलता  कहा  है
छोड़  दू  उनके  लगाए मुझ  पर हर एक अरोपो को
ठहर जाए उनके यहां "मगर" काफिर रुकता कहा है

कभी उन्होंने ने मुझको  कलियों का भवरा कहा था
कहा था किसी बगीचे के फूल पर तू टिकता कहा है
रुक जाएंगे  कहीं भी  जहा  दिलों  की राजधानी हो