साथिया!! रहे लाख गिले-शिकवे बेशक़ लड़े हम, रहते ना थे, पलभर एक दूजे बिन, आज भी यादों के झरोखों से, कभी तेरी सूरत ओझल ना हुई। पहर बीत जाते बातों-बातों में, होश रहता न था वक़्त बीत जाने का, वक़्त ने बदला सब, फ़क़त एक तेरी यारी से ज़िंदगी बोझल ना हुई। Challenge-131 #collabwithकोराकाग़ज़ 4 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए :) आज के विजेता को एक साल का प्रीमियम सबस्क्रिप्शन उपहार स्वरूप दिया जाएगा :) #साथिया #कोराकाग़ज़ #yqdidi #yqbaba #YourQuoteAndMine Collaborating with कोरा काग़ज़ ™️