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कृष्ण हीं आशा, कृष्ण प्रेम हैं, कृष्ण हीं राग और,

कृष्ण हीं आशा,
कृष्ण प्रेम हैं,
कृष्ण हीं राग और, 
कृष्ण गीत हैं।
कृष्ण हीं हार,
कृष्ण जीत हैं।
कृष्ण जीव और,
कृष्ण जीवन हैं।
कृष्ण प्रिय और
कृष्ण प्रियतम हैं।
कृष्ण हीं सार,
कृष्ण आधार हैं।
कृष्ण हीं विश्व,
कृष्ण सर्वस्व हैं।

©anchal barnwal
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