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झूला उफ ! इस झूले को किसी की नजर लग गई जो कल तक

झूला

उफ ! इस झूले को किसी की नजर लग गई
 जो कल तक साथ थे वह आज दूर हो गए
 अपनी रची साजिशों के ही हम खुद शिकार हो गए
 जिसे समझा था प्रियतम वह प्राणहर्ता हो गए
 न जाने क्यों न समझ पाने की भूल कर दी थी मैंने
 आज हम गुनाहों के गुनाहगार बन बैठे थे

©DR. LAVKESH GANDHI
  #Leave #
# मेरे अरमानों के झूले #

Leave # # मेरे अरमानों के झूले #

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