बारिश सर्दियों की है मज़ा ही अलग है कोहरे में शर्माता सूरज सुबह ही अलग है, तुझे याद करना कि कुछ सर्दी कम हो तुझे याद करते रहने की कुछ वजह ही अलग करीब आ कि आंखों से तेरी नज़र उतारूँ नज़र मेरी रहे तुझपे बस मज़े में रहेगा तू भी सच बताऊं मेरी नज़र ही अलग है, तू उधर से भेज रूह से नगमा कोई मैं गुनगुनाने लगती हूँ कोई ना कोई बात तो है, ये वसल ही अलग है। सर्दी की बारिश