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----चिता जलाना प्रारम्भ करो---- बन्द करो अब शमा जल

----चिता जलाना प्रारम्भ करो----
बन्द करो अब शमा जलाना ,चिता जलाना प्रारम्भ करो,
एक निर्भया और बनी, तो दोषी को  लहू लुहान करो,
बंद करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
बंद करो अब इंसाफ की मांग ,खुद के हाँथ कमान धरो,
एक बार जो जिस्म टिटौले, उसके प्राण आहुति धरो,
बंद करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
ना रहम करो तुम उसपर, जिसने रहम का पाठ पढ़ा नहीं,
जो हवस मिटाता रहा बदन की,उसके रहम से डरा नहीं,
आज अगर तुम  माफ करोगे, कल वो खुद पर इतराएँगे,
ना वो सुधरे थेे ,न वो सुधरेंगे,फिर से  वो निर्भया बनाएंगे,
तुम हो देश के करता धरता,क्या तुमने यह ध्यान धरा नहीं,
आंख खोल कर देख लो, क्या प्रियंका अब निर्भया नहीं,
भूल गए तुम गुज़रे दिन ,क्या तुमको भी यह ध्यान नही,
बिन पोशाक जली थी रेडडी,क्या यह भी तुमको ज्ञान नहीं,
बन्द करो अब शमा जलाना ,चिता जलाना प्रारम्भ करो,
एक और निर्भया बनी,तो दोषी को लहू लुहान करो,
बन्द करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
---NAGENDRA (GUSTAKHI MAAF) #चिता#जलाना#प्रारम्भ#करो....
----चिता जलाना प्रारम्भ करो----
बन्द करो अब शमा जलाना ,चिता जलाना प्रारम्भ करो,
एक निर्भया और बनी, तो दोषी को  लहू लुहान करो,
बंद करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
बंद करो अब इंसाफ की मांग ,खुद के हाँथ कमान धरो,
एक बार जो जिस्म टिटौले, उसके प्राण आहुति धरो,
बंद करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
ना रहम करो तुम उसपर, जिसने रहम का पाठ पढ़ा नहीं,
जो हवस मिटाता रहा बदन की,उसके रहम से डरा नहीं,
आज अगर तुम  माफ करोगे, कल वो खुद पर इतराएँगे,
ना वो सुधरे थेे ,न वो सुधरेंगे,फिर से  वो निर्भया बनाएंगे,
तुम हो देश के करता धरता,क्या तुमने यह ध्यान धरा नहीं,
आंख खोल कर देख लो, क्या प्रियंका अब निर्भया नहीं,
भूल गए तुम गुज़रे दिन ,क्या तुमको भी यह ध्यान नही,
बिन पोशाक जली थी रेडडी,क्या यह भी तुमको ज्ञान नहीं,
बन्द करो अब शमा जलाना ,चिता जलाना प्रारम्भ करो,
एक और निर्भया बनी,तो दोषी को लहू लुहान करो,
बन्द करो अब शमा जलाना, चिता जलाना प्रारम्भ करो,
---NAGENDRA (GUSTAKHI MAAF) #चिता#जलाना#प्रारम्भ#करो....