White जो बीत गयी सो बात गयी, लौट कर जो वापस ना आए वो रात गयी, कई मुक़दमे हुए कई सजा हुई, पर असली मुजरिम बच गया ऐसी अदालत में कई खता हुई, चोर-चोर हुए मौसेरे भाई, अब तो सहनशीलता की भी अति हुई, कोई कर्ज लेकर मौज करे और कोई कर्ज देकर डूबे, आज जमाने में ये बात आम दस्तूर हुई, इश्क़ में कितने दिल टूटे कितने दिल बिखरे, आज पाक साफ मोहब्बत की बड़ी बेरहम क्षति हुई, इंसानियत और नेकी की बातों की अहमियत, अब बस किताबों तक ही सिमट कर रह गयी, इस निष्ठुर ज़माने में कोई किसी का नहीं है अपना, देख ये मुरलीवाले के आँखों से भी अश्रुओं की धारा बही, जो बीत गयी सो बात गयी, लौट कर जो वापस ना आए वो रात गयी.. ©Avinash Lal Das #जो_बीत_गई_सो_बात_गई