काँच सा दिल कांच सा दिल,तमन्नाओं से भरा कुछ कुछ धुंधली सी ख्वाहिश नजर आती है,बाहर किसी कोने से कुछ दरारों से गिरते कांच के टुकड़ों सी ख्वाहिशें जो ख़त्म सी होती जा रही मिट्टी की तरह इन आंखों से ओझल होते सपनों सी तमन्नाएं जैसे धुंधली धुंधली परछाईं की तरह टूटी अंदर से दिवारें थामे है बाहर की दरारों को जो सिर्फ अक्स सा रह गया जो मुक्कमल कब है रहा _mywords #कांच सा दिल#mywords#nojoto