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सुप्रभात जी, ******************** ज्ञान दात्री

सुप्रभात जी, 
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ज्ञान  दात्री  कर  कृपा, दुर्बुद्धि  करो  नष्ट। 
ज्ञान शक्ति सब को मिले,आए न कभी कष्ट।। 

सुन्दर  प्रभात  आ गई, निद्रा  अपनी त्याग। 
बुला रही मंजिल तुम्हें, जाग मनुज अब जाग।। 

नव उम्मीदों को जगा, चल मनु पथ की ओर। 
आशाओं  को  साथ  ले, आई  है  ये  भोर।।

©Uma Vaishnav
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