एक अधूरा प्रेम ही है,जो पावन प्रेम का पर्याय है। विधाता खुद अधूरा है जो जनक है प्रेम का। संपूर्णता में शेष कुछ रहता नहीं, प्रेम के अस्तित्व का। एक अधूरा प्रेम ही है जो कभी मरता नहीं। ©Anuj Ray # अस्तित्व