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खंडहर ऐसे नहीं कहे जाते खंडहर पहुंचे इस तरह जब जा

खंडहर ऐसे नहीं कहे जाते खंडहर
 पहुंचे इस तरह जब जान बेजान सी हो जाती है खंडहर ,ज़रा कर रिस्ती रही रोज़ रूह से कसक कड़क होती रही रूष्ट रिश्ते की भभक,
खंडहर बन जाता रिश्ता में आता मौन का मंजर, माझती रही राख उड़ती रही भयानक आग का रूप कलाम आजाद हुए बन के खंडित खंडहर
— % & Kuch bache ret ke teelee...
खंडहर ऐसे नहीं कहे जाते खंडहर
 पहुंचे इस तरह जब जान बेजान सी हो जाती है खंडहर ,ज़रा कर रिस्ती रही रोज़ रूह से कसक कड़क होती रही रूष्ट रिश्ते की भभक,
खंडहर बन जाता रिश्ता में आता मौन का मंजर, माझती रही राख उड़ती रही भयानक आग का रूप कलाम आजाद हुए बन के खंडित खंडहर
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