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सुन ना,ऐ कागज की कश्ती,तु कितनी सुहानी लगती थी तुझ

सुन ना,ऐ कागज की कश्ती,तु कितनी सुहानी लगती थी
तुझे देख लगता जैसे,सच्ची जीवन की कहानी लगती थी
सुन ना, मुझे मेरे बचपन की गलियो मे ले चल ना
मेरे गॉंव,मेरे पुराने घर मे चल ना

वहीं तो मिली थी तु मुझे,बारिश की बूदों मे सजाया था मैने तुझे
भाईयो के साथ तीन कश्ती बनती थी,किसकी आगे निकलेगी ये शर्त लगती थी
सुन ना मुझे फिर मिलवा दे,उन तीन कश्तीयो से
मुझे फिर पहुचां दे मेरी बचपन की गलीयों मे !!

©Bh@Wn@ Sh@Rm@ #कश्ती 

#Memories  Tanishka Rohit Sharma Dr. Sakshi Joginder Sharma Akaal Mrityu Amaan khan
सुन ना,ऐ कागज की कश्ती,तु कितनी सुहानी लगती थी
तुझे देख लगता जैसे,सच्ची जीवन की कहानी लगती थी
सुन ना, मुझे मेरे बचपन की गलियो मे ले चल ना
मेरे गॉंव,मेरे पुराने घर मे चल ना

वहीं तो मिली थी तु मुझे,बारिश की बूदों मे सजाया था मैने तुझे
भाईयो के साथ तीन कश्ती बनती थी,किसकी आगे निकलेगी ये शर्त लगती थी
सुन ना मुझे फिर मिलवा दे,उन तीन कश्तीयो से
मुझे फिर पहुचां दे मेरी बचपन की गलीयों मे !!

©Bh@Wn@ Sh@Rm@ #कश्ती 

#Memories  Tanishka Rohit Sharma Dr. Sakshi Joginder Sharma Akaal Mrityu Amaan khan