तिरे-मिरे दरमियाँ फासले कितने थे? पर हमने भी बदले रास्ते कितने थे. हर तरफ तुम्हीं तुम दिखते जानां. जाने मेरे सामने आईने कितने थे. हर किसी को सुर्खियों में आना है. सोचो फिर शहर में झूठे कितने थे. अपने घर से तेरे घर तक आता कैसे? ना जाने रास्ते में गड्ढे कितने थे. तू भी उसी आसमान में रहता है. जहाँ ना जाने सितारे टूटते कितने थे. #NojotoQuote तुम्हारे सिवाए तुम्हारा कौन है जानां?