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कोशिश की बहोत पर , मंज़िल को छू न सके  पंख फैलाये ब

कोशिश की बहोत पर ,
मंज़िल को छू न सके 
पंख फैलाये बहोत मगर, 
उड़ान भर न सके
हम चाहते थे कायनात,
मुट्ठी में करना 
लकिन अपने ख्वाबो के टुकड़े ,
समेट न सके। 

 रिश्ते बहोत थे,
लफ्ज़ बहोत थे 
फिर भी किसी को ,
बया कर न सके 
घुट गए अंदर ही अंदर,
ख्वाब हमारे की 
हमारे अपने उन्हे,
अपना न सके। 
  #thirdquote #careergoals #dreamsndesires #dillagi
कोशिश की बहोत पर ,
मंज़िल को छू न सके 
पंख फैलाये बहोत मगर, 
उड़ान भर न सके
हम चाहते थे कायनात,
मुट्ठी में करना 
लकिन अपने ख्वाबो के टुकड़े ,
समेट न सके। 

 रिश्ते बहोत थे,
लफ्ज़ बहोत थे 
फिर भी किसी को ,
बया कर न सके 
घुट गए अंदर ही अंदर,
ख्वाब हमारे की 
हमारे अपने उन्हे,
अपना न सके। 
  #thirdquote #careergoals #dreamsndesires #dillagi