अगर बदला लेने की ही भावना हो तो उस इन्सान की अच्छाइयों का भी बदला उतनी ही जल्दी और दोगनी खुशी से दिया कीजिए। बन्धुवर! जितना किसी की बात बुरी लगने पर देते हैं और चारों ओर उसकी बुराई कहते हैं। अच्छाई करने में संकोच कैसा? जब बुराई करने में नहीं है। ©Miss mishra #sankoch