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सुनो! जरा बताना कहां मिलेंगे वो एकांत जहां मैं गुन

सुनो!
जरा बताना
कहां मिलेंगे वो एकांत
जहां मैं गुनगुना सकूं,
अपनी कविताओं में एक नये गीत,
जो अंकुरित होने से पहले ही
भेद दी जाती है 
मेरे कानों के जरिए मेरे मन तक।

अपनी संवेदनाएं, को तब्दील कर सकूं
खुले आसमान के तले,
जहां सिर्फ मैं रहूं, और मेरी कविताएं।

निश्चित ही मिलेगा, वो प्रेम
जो विलुप्त हो चुके हैं
मेरे भावनाओं में बहकर,
आशंकाएं नहीं ये, विश्वास है मेरा
कहीं तो होगा, जहां चित लगे,
एक ऐसा बसेरा।

"एकांत की खोज में भटका एक पथिक"
......
.....!!
#स्वरचित 
....@Drusha.. ✍️🌺

©DrUsha Kushwaha
  #standout सुनो!
जरा बताना
कहां मिलेंगे वो एकांत
जहां मैं गुनगुना सकूं,
अपनी कविताओं में एक नये गीत,
जो अंकुरित होने से पहले ही
भेद दी जाती है 
मेरे कानों के जरिए मेरे मन तक।

#standout सुनो! जरा बताना कहां मिलेंगे वो एकांत जहां मैं गुनगुना सकूं, अपनी कविताओं में एक नये गीत, जो अंकुरित होने से पहले ही भेद दी जाती है मेरे कानों के जरिए मेरे मन तक। #विचार #स्वरचित

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