An Initiative By Maahi ©Kumar Mohit - Maahi ये ज़रूरी तो नहीं उतने जितने लिखते समय होते हैं वो आशिक होते हैं जो लिखते समय रोते हैं . तन्हा आशिक चाहे, ये शाम ना आए देखना कहीं माही का नाम ना आए .