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पल्लव की डायरी तेरे मेरी समझ ,तकरार बढ़ने नही देती

पल्लव की डायरी
तेरे मेरी समझ
,तकरार बढ़ने नही देती है
कभी तू खामोश कभी में नजर अंदाज कर देता हूँ
उठाने को तो लोग जरा जरासी बातों पर
तूफान उठा देते है
प्यार करके भी सुर बगावती कर
जिंदगी जहन्नुम बना लेते है
तराशने का हुनर सब के पास नही होता
वरना लोग पत्थरो में भी भगवान बसा लेते है
सुख दुख तो है ही जिंदगी
मगर लोग अधिकारों की ढाल बनाकर
एक दुसरो में नफरतों के पौध लगा लेते है
                                                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #Tuaurmain एक दुसरो में नफरतों की पौध लगा लेते है
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