गश्त लगाती है भूख, रोज़ नंगे पाँव, बड़ा शातिर है रोटी का टुकड़ा, मिलता ही नही। गश्त लगाती है भूख, रोज़ नंगे पाँव, बड़ा शातिर है रोटी का टुकड़ा, मिलता ही नही।