"जल की व्यथा" कभी बोतलों में बिकता है, कभी सड़कों पर व्यर्थ ही बहता है। 'कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें' 24 जल बड़ा चंचल है, जल है तो आने वाला कल है, झरनों की झरझर भी,जल है। जल है तो नदियों की कलकल है।