ज़िंदगी से फिर भी गिला नही है मुझको, जिसे भी चाहा वो मिला नही है मुझको पतझड़ में जैसे पत्ते टूट जाते हैं शाखों से, चला गया वो यकीं अब भी नही है मुझको ©Farookh Mohammad #FMtalks #AloneInCity