तेरी जुल्फ़ों से जो उलझा मैं इक मर्तबा अब तक तेरा आशिक सुलझ ही न पाया हैं झील सी अंखियों को सुरमे से सजाकर तूने इस दिल पर हर वक्त सांप लोटाया हैं रूख़्सार जो गुलाबी है, तासीर से शराबी है जब भी इनको चूमा नशा बेइंतिहां पाया है दरिया ए मोहब्बत में मैं डूबता चला गया तैरना भी चाहा मगर कोई पार नहीं पाया हैं जहाँ जहाँ भी नैनों के घोड़ों को दौड़ाया है वहाँ तक नजरों को फ़क़त तू ही नज़र आया है #एक_बात_कहूँ क्या दिल की तुमसे मेरी प्रिये इस #लाचार दिल में मेरे इक तू ही तू समाया है #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #कविता #नोजोटो #nojoto #nojotohindi